बृहस्पतिवार, 30 दिसम्बर 2010
तुम चाहो तो ......
[श्रीमती पूनम माथुर,द्वारा]
तुम चाहो तो,घृणा को प्यार में बदल दो.
तुम चाहो तो,दुःख को खुशी में बदल दो..
तुम चाहो तो,वीराने को बहार में बदल दो.
तुम चाहो तो,पतझड़ को बसंत में बदल दो..
तुम चाहो तो,हैवान को इन्सान में बदल दो.
तुम चाहो तो, गरीबी को अमीरी में बदल दो..
तुम चाहो तो,मौत को ज़िंदगी में बदल दो.
तुम चाहो तो,अन्धकार को प्रकाश में बदल दो.
तुम चाहो तो,अज्ञानी को ज्ञानी में बदल दो...
6 टिप्पणियां:
- विजय जी, बहुत अच्छी बात कही। हार्दिक बधाई।
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साइंस फिक्शन और परीकथा का समुच्चय।
क्या फलों में भी औषधीय गुण होता है? - प्रेरणादायक बहुत ही अच्छी कविता | हार्दिक बधाई।
नोट:-यह कविता प्रथम बार ब्रह्मपुत्र समाचार,आगरा क़े २२जन्वरी ०४ _०४ फरवरी २००४ ,अंक में प्रकाशित हुई थी.आज की परिस्थितियों में भी इन्सान की ताकत का एहसास कराती इस कविता को पुनः प्रकाशित करना उचित लगा.
पूनम जी इस कविता के प्रकाशन हेतु बधाई और हमने तो पहली बार पढ़ी है इसलिए यहाँ प्रकाशित करने के लिए विजय जी आप का आभार.