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Sunday 29 September 2013

दिल की बीमारी से निजात पाईये---पूनम माथुर




सूखी रोटी खाइये 
साईकिल पर चलिये 
पेट्रोल को आईना दिखाये 
प्रभु के गुण गाईये 
दिल की बीमारी से निजात पाईये 
प्रदूषण को मत बढ़ाइये 
सिगरेट और धूम्रपान से अपने को बचाईये
एक पेड़ लगाइये
हरियाली पाइये
सभी के जीवन को स्वस्थ बनाइये
कुदरत का खजाना पाइये
पानी कम गिराइये
प्रेम और भाई -चारे को बढ़ाईये
शरीर के रोगों को भगाईये
दिल की बीमारी से निजात पाईये 
दिल-दिमाग को स्वस्थ बनाईये। । 

Thursday 26 September 2013

धैर्य,प्रशंसा और 'ना '


जीवन में धैर्य मुश्किलों को आसान बना देता है तो दूसरों की प्रशंसा करके आत्म-संतोष भी मिलता है और सही कार्यों को प्रोत्साहन भी। इसी के साथ -साथ कभी-कभी 'ना' कहना भी बेहद ज़रूरी होता है। 
प्रस्तोता---पूनम माथुर

Wednesday 25 September 2013

पूछना है सबका ?

मतलब से लोग पूछा करते हैं

मतलब निकल जाने के बाद भगाया करते हैं

मतलब से लोग गधों कोभी  बाबा कहा करते हैं

मतलब निकाल कर माँ-बाप को घर से निकाला करते हैं

मतलब निकल जाने पर दुनिया वाले धक्का दिया करते हैं

मतलब से दुनिया को सलाम किया करते हैं

मतलब की है दुनिया,लोग बेमतलब के हुआ करते हैं

मतलब के लिये रिश्ता बना लिया करते हैं

मतलब के लिये ही रिश्तों को बेच दिया करते हैं

मतलब से ही सभी को सलाम किया करते हैं

मतलब के खातिर अपने देश को खरीद व बेच लिया करते हैं

मतलब वालों का ज़मीर ऐसा ही हुआ करता है। ।  

---(पूनम माथुर)


Tuesday 24 September 2013

बस यूँ ही

क्या ले के आए थे सपना

कोई नहीं है जग  में अपना

सब हैं मृग मरीचिका के सताये

दुनिया में हैं सब अपने को बहलाये

  सब  हैं बेगाने कहने को चले अपने

ये क्या जाने खुदा के बनाये

तीर   औरों पे  कहीं चलाये

 निशाना कहीं और लगाये

चले किसी को गले लगाने

पर क्या फायदा अपने को बचाये

सब कुछ है अनबूझ पहेली

सखी रे कोई नहीं तेरी सहेली

सपना टूटा बिखरे अपने

हो गए सब  आज पराये 

राग और रंग का क्या मिलना

अब तो है  सब को अलविदा कहना

एक-एक कर सब को है चलना। ।

---(पूनम माथुर)







Sunday 22 September 2013

बेटियाँ

विश्व बेटी दिवस पर : 

सम्मान करें बेटियों का 

मान करें बेटियों का 

अपमान न करें बेटियों का 

विज्ञापन न करें बेटियों का 

वरदान समझें बेटियों को 

योगदान समझें बेटियों का 

बेटियों को न मसलें न कुचलें 

सारा संसार है आपकी बगिया । । 

(दुनिया की सभी बेटियों को मेरी ओर से हार्दिक बधाई व उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनायें )
जयहिंद !!
---पूनम माथुर

Saturday 21 September 2013

कृतज्ञता ज्ञापन

सभी छोटे-बड़ों का  कृतज्ञता दिवस के अवसर पर हार्दिक आभार ---पूनम माथुर

Thursday 19 September 2013

"क्या हमको ही देश की नींव कहा"---~(कवि मोहित पूनफेर)~

"मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
हमें दिनभर है मैला ढौना,
चंद टुकड़ों के लिए है रोना।
भुखे पेट प्यासी प्यास लेकर,
फुटपाथ पर रोज हमें सोना।
गरीबी रेखा के नीचे होने से,
हमारा भी एक मकान बना।
फिर उस मकान की छत के नीचे,
माँ अब्बा का शमशान बना।
किसने मृत जिन्गानी को,
माथे पर लिखी तकदीर कहा।
हम भी भारत के बालक है
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
स्कूल स्लेट कॉपी पेंसिल,
छीन गया हमारा झोला है।
गर्मी में जिन्दगानी मोम सी है,
सर्दी में बर्फ का गोला है।
जुते वर्दी की बात ना कर,
बस फटा पुराना चोला है।
फिर आते जाते राहगीर ने,
हमको पाजी कीड़ा निर्जिव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
दीवाली होली नवरात्रों पर,
हमारी भी मौज हो जाती है।
भारत की माँए दुआएँ खरीदने,
नए कपड़े हमारे लाती है।
हलवा पूरी मालपूए खीर,
वो झोली में रख जाती है।
ना जाने किस श्रद्धा मुर्ति ने,
हमें रुप ईशवरीय सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
~~~~(कवि मोहित पूनफेर)~~~~~~
Photo: "क्या हमको ही देश की नींव कहा"
~(कवि मोहित पूनफेर)~

"मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
हमें दिनभर है मैला ढौना,
चंद टुकड़ों के लिए है रोना।
भुखे पेट प्यासी प्यास लेकर,
फुटपाथ पर रोज हमें सोना।
गरीबी रेखा के नीचे होने से,
हमारा भी एक मकान बना।
फिर उस मकान की छत के नीचे,
माँ अब्बा का शमशान बना।
किसने मृत जिन्गानी को,
माथे पर लिखी तकदीर कहा।
हम भी भारत के बालक है
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
स्कूल स्लेट कॉपी पेंसिल,
छीन गया हमारा झोला है।
गर्मी में जिन्दगानी मोम सी है,
सर्दी में बर्फ का गोला है।
जुते वर्दी की बात ना कर,
बस फटा पुराना चोला है।
फिर आते जाते राहगीर ने,
हमको पाजी कीड़ा निर्जिव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
दीवाली होली नवरात्रों पर,
हमारी भी मौज हो जाती है।
भारत की माँए दुआएँ खरीदने,
नए कपड़े हमारे लाती है।
हलवा पूरी मालपूए खीर,
वो झोली में रख जाती है।
ना जाने किस श्रद्धा मुर्ति ने,
हमें रुप ईशवरीय सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
.
मृत सी जीवन शैली को,
ना जाने किसने सजीव कहा।
हम भी भारत के बालक है,
क्या हमको ही देश की नींव कहा।।
~~~~(कवि मोहित पूनफेर)~~~~~~
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Saturday 14 September 2013

एक गरीब बच्चे की नज़र से---हिन्दी शायरी


एक गरीब बच्चे की नज़र से:-
सिक्कों में खनकते हर एहसास को देखा..
आज फिर मैंने अपने दबें हाल को देखा...
अंगीठी में बन रही थी जो कोयले पे रोटियाँ..
आज फिर मैंने अपनी माँ के जले हाथ को देखा...
बट रही थी हर तरफ किताबे और कापियाँ..
आज फिर मैंने अपने हिस्से के कोरे कागज़ को देखा...
सज रही थी हर तरफ बुलंदियों पर खिड़कियाँ..
आज फिर मैंने अपने धंसते संसार को देखा...
चढ़ रही थी हर तरफ दुआओं की अर्ज़ियाँ..
मंदिर भी माँ मैंने तेरे पांव में देखा...
लग रही थी जब मेरे अरमानो की बोलियाँ..
हर ख्वाब-ए-चादर को अपने पांव की सिमट में देखा...


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हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित ---पूनम माथुर