©इस ब्लॉग की किसी भी पोस्ट को अथवा उसके अंश को किसी भी रूप मे कहीं भी प्रकाशित करने से पहले अनुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें। ©

Tuesday 17 June 2014

राजनीति

हर बार तुमने दबाव की राजनीति चली
तुम्हारे घर और देहरी की क्या यही सखी-सहेली?1 ?

हर बार तुमने दबाव बनाई
क्या उम्मीद हमने तुमसे लगाई
घर क्या होता है ?हम कभी न जान पाये
हर वक्त तुमने हमारे ऊपर इल्ज़ाम लगाए ।

मर जाने को हम तैयार बैठे हैं
पर कौन हमको यहाँ से उठा ले जाते हैं?














मंदिर

किसी की अच्छाइयाँ  हर बार बुराइयाँ  बनी
तुम्हारे मन मंदिर की यही चाल सौ गुनी ठनीं ।
दूसरे की हर बात तुमने गलत ढंग से बुनीं
क्या तुम्हारे अंतरात्मा ने यही राह चुनी।

दुनिया

दुनिया एक खिलौना है
अपना पाठ सभी को निभाना है

क्या करें क्या न करें?
क्या प्रश्न है?क्या उत्तर है?

गोटियों की बिसात बिछी है
आन-बान-शान सबों ने पूछी है।

ज़िंदगी

ज़िंदगी एक सम्झौता है
कौन कहता है फैसला होता है?

ज़िंदगी की राह बहुत टेढ़ी है
इस पर चलना मनुष्य की मजबूरी और बेड़ी है।

हँसना बहुत ज़रूरी होता है
पर रोना क्या सभी को आता है?

माँ तो माँ होती है बाप तो बाप होता है
क्या किसी को दोनों के जैसा स्नेह  लुटाने आता है? 

गम -ए-एहसास

गम तो तुमने इतने दिये
कहते  हो हमने प्यार किये । 1।

आँखों का पानी आँसू न बन जाये
ऐसा न हो कि आँखों का पानी उतर जाये ।
यह पानी गम की कहानी न बन जाये
कभी ख्वाबों में बुलाते रहो फिर भी हम न आयें। 2।





यह पानी

यह पानी

खेतों पर झरने का स्त्रोत मिल जाये
बड़ा अच्छा होता पानी सीप का मोती बन जाये।
बड़ा अच्छा होता दोनों का अस्तित्व पानी बन जाये
दोनों दरिया में मिल कर समुंदर बन जाएँ।
न हम रहें न तुम रहो दोनों मीठे पानी का सैलाब बन जाएँ।