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Wednesday 1 July 2015

जलवा है! चुप ............................................................

(1 )
होता क्या है? जलवा 
प्रशासन को मारा लकवा 
लील ली है नौकरशाहों ने जनता की हवा 
घर में ये खाते पूरी-हलवा 
कोई बताए इनकी क्या है दवा ?
खाते में ये जमा करते एक के बदले सवा 
मन के काले, दिखते हैं सफ़ेद लिबास में खोलवा । । 
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(2 )
दिखता नहीं कोई कहीं 
सब कहते हैं हम ही सही 
झूठ का लिखते हैं खाता-बही 
गद्दारों के घर पर कमी नहीं 
गरीबों का खून मथानी से मह रही 
जनता बेचारी दर से चुप रही । । 


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