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सूर्य उपासना का पावन पर्व 'छठ' पूजा :
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सूर्य देवता सबको रोशनी-प्रकाश-ज्योति- ऊष्मा सब एक समान देते हैं। इसके बदले में कुछ नहीं मांगते हैं । जीवन को प्रकाशित करते रहते हैं चाहें वह वनस्पति जगत हो चाहें प्राणी जगत।जीवन में आने और जाने वाले उतार-चढ़ाव को भी दर्शाते हैं।जो आज जा रहा है उससे घबड़ाएँ नहीं उसका भी स्वागत करें और आने वाले कल अर्थात भविष्य का भी स्वागत करें। हर परिस्थिति में मनुष्य अपने 'कर्म' को न भुलाए 'सूर्य' देवता यह भी संदेश देते हैं। परंतु मनुष्य आज बाज़ार के चक्कर में पड़ के इस पर्व की मूल भावना को ही भुला बैठा है। सबसे बड़ी बात है कि, इस पर्व में अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं है। इस पूजा में सब एक-दूसरे की मदद करते हैं। साफ-सफाई (हाईजीन ) रखते हैं। भेदभाव रहित त्योहार है यह। हमें तो इसमें ही साम्यवाद नज़र आता है।
जीवनदायनी सूर्य को शत-शत नमन और प्रणाम।
सूर्य उपासना का पावन पर्व 'छठ' पूजा :
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सूर्य देवता सबको रोशनी-प्रकाश-ज्योति- ऊष्मा सब एक समान देते हैं। इसके बदले में कुछ नहीं मांगते हैं । जीवन को प्रकाशित करते रहते हैं चाहें वह वनस्पति जगत हो चाहें प्राणी जगत।जीवन में आने और जाने वाले उतार-चढ़ाव को भी दर्शाते हैं।जो आज जा रहा है उससे घबड़ाएँ नहीं उसका भी स्वागत करें और आने वाले कल अर्थात भविष्य का भी स्वागत करें। हर परिस्थिति में मनुष्य अपने 'कर्म' को न भुलाए 'सूर्य' देवता यह भी संदेश देते हैं। परंतु मनुष्य आज बाज़ार के चक्कर में पड़ के इस पर्व की मूल भावना को ही भुला बैठा है। सबसे बड़ी बात है कि, इस पर्व में अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं है। इस पूजा में सब एक-दूसरे की मदद करते हैं। साफ-सफाई (हाईजीन ) रखते हैं। भेदभाव रहित त्योहार है यह। हमें तो इसमें ही साम्यवाद नज़र आता है।
जीवनदायनी सूर्य को शत-शत नमन और प्रणाम।
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