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Tuesday 24 November 2015

करो न दीनों की हंसी होकर वैभव-मान । क्योंकि दशा रहनी नहीं है सबकी समान । ।


करो न दीनों की हंसी होकर वैभव-मान

क्योंकि दशा रहनी नहीं है सबकी समान




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