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Tuesday 20 October 2015
Monday 19 October 2015
Thursday 15 October 2015
सेना में नारी
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सुबह-सुबह आज के अखबार में सेना में सेवारत नारियों के बारे में पढ़ा। नारी को 'शक्ति' का रूप माना जाता है। नवरात्र के दिनों में माँ 'दुर्गा ' के अर्चना की जाती है माता तो अलौकिक शक्ति हैं। उनसे शक्ति का वरदान मांगा जाता है। परंतु लौकिक जगत में क्या नारी का स्थान ऐसा है? कहीं पर भी हो हर जगह नारी उपेक्षित ही है। सेना में कार्यरत नारियां भी अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। इसी कारण वे असहज रहती हैं। बीच में ही काम छोड़ कर लौट आती हैं। हर जगह नारी -शक्ति को महान माना जाता है, परंतु यह सब क्या है? हर जगह उनके लिए एक सरहद, एक सीमाएं होती हैं । नारी के प्रति भेदभाव 'पशु जगत' व 'पक्षी जगत ' में तो होता नहीं है फिर 'मानव जगत ' में ऐसा भेद क्यों? क्या यही 'मनुष्य ' की श्रेष्ठता है?
Monday 12 October 2015
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