डॉ सूर्यकांत जी को लखनऊ पुस्तक मेला में 08 अक्तूबर 2015 को सुनने का अवसर भी मिला है उनकी शिकायत वाजिब है उसे क्यों न सुझाव मान कर अमल में लाया जाये? वैसे पुरानी आयुर्वेद शिक्षा में वैद्य के लिए निर्देश होते थे कि, उसे रोगी व उसके तीमारदारों से कैसे व्यवहार करना चाहिए। उसी तरह आधुनिक चिकित्सा - शिक्षा में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए।
डॉ सूर्यकांत जी को लखनऊ पुस्तक मेला में 08 अक्तूबर 2015 को सुनने का अवसर भी मिला है उनकी शिकायत वाजिब है उसे क्यों न सुझाव मान कर अमल में लाया जाये?
ReplyDeleteवैसे पुरानी आयुर्वेद शिक्षा में वैद्य के लिए निर्देश होते थे कि, उसे रोगी व उसके तीमारदारों से कैसे व्यवहार करना चाहिए। उसी तरह आधुनिक चिकित्सा - शिक्षा में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए।